Neeraj Agarwal

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लेखनी कहानी -07-Feb-2024

शीर्षक - गुनाहों का दलदल


आज जीवन में हम सभी छोटे रास्ते से पैसा कमाने के तरीके ढूंढते रहते हैं और गुनाहों का दलदल तैयार करते रहते हैं क्योंकि गुनाहों का दलदल ही हम सभी को एक छोटे और जल्दी के रास्ते बताता है क्योंकि गुनाहों का दलदल ही मानसिकता का विषय है हम सभी जीवन में कहीं ना कहीं लालच और धन संपत्ति के साथ जीने की लालसाये रखते हैं अभी तक जीवन में कोई भी रास्ता ऐसा नहीं है जो बिना गुनाह का दलदल पार करें। सच और सही अगर हम सोच कर देखें और हकीकत जान तो धन संपत्ति का आती होना गुनाहों का दलदल से जुड़ा होता है बस इतना फर्क है कि हम सभी को मालूम चले या ना चले पर अगर हकीकत हम सभी कमान चलती है तो अति की धन असंपत्ति गुनाहों का दलदल होती है। निशा सुंदर समझदार लड़की थी परंतु माता-पिता के देहांत के बाद अपने छोटे भाई राहुल को पालन पसंद करने के लिए उसे अपने जीवन में ईमानदारी और सच की रास्ते पर चलने से कुछ हासिल नहीं हुआ और बल्कि ईमानदारी से काम करने पर उसको लोगों ने बुरी ने कहा से और चोर और बदचलन भी कहा जिससे निशा टूट सी गई और उसने मन ही मन जीवन में गुनाहों का दलदल चुन लिया उसने मन ही मन‌ निर्णय ले लिया बाद से बदनाम अच्छा और उसने अपने भाई राहुल को बाहर हॉस्टल में पढ़ने डाल दिया और खुद गुनाहों का दलदल पर चल पड़ी उसने मन में निर्णय कर लिया था कि उसकी जिंदगी तो अब बेकार हो चुकी है और वह अपने भाई की जिंदगी बनाने के लिए खुद को गुनाहों का दलदल में चल देती है अब निशा एक हाई प्रोफाइल बिजनेस वूमेन बन चुकी होती है और वह हर रात को अपने बिजनेस अपने तरीके से हम बिस्तर मन मांगी रकम के साथ बड़े-बड़े सपने सजाने और शौकीन मिजाज दोस्तों के साथ रहने लगती है निशा मनी मां जानती थी कि गुनाहों का दलदल जब तक ही उसका साथ है जब तक उसकी खूबसूरती और सुंदर बदन उसके साथ है परंतु वह समाज के साथ खूब जानती थी क्योंकि जिंदगी में उपदेश देना और उसे पर चलना मुश्किल होता है क्योंकि निशा जीवन के ऐसे राहों से गुजर चुकी थी कि जहां उसे सेज अपनों के साथी हम बिस्तर होना पड़ा था सच तो गुनाहों का दलदल है क्योंकि वहां हमें कोई छुपाओ तो नहीं होता और जीवन में हमेशा इस निगाहों से देखते हैं तब हम शरीफ बनकर भी क्या करें निशा को सब हकीकत समाज की और अपनी मालूम थी। राहुल पढ़-लिखकर लिखकर एक अच्छा वकील बन चुका था। और वह भी आप अपनी दीदी निशा के साथ रहना चाहता था परंतु निशा ने उसे यह कहकर मन कर दिया। अभी वह अपने नौकरी में व्यस्त है और उसे नौकरी में किसी के साथ न रहने की उसकी मजबूरी मजबूरी है। समय करवट लेता है और राहुल की दोस्त भी बहुत-बहुत ऊचे घराने के बन जाते हैं और एक रात सभी दोस्त मौज मस्ती करने के लिए शहर की नाम चिन हाई प्रोफाइल को हायर कर को हायर करते हैं तब उसमें निशा भी शामिल होती है और राहुल अपने दोस्तों के साथ इस होटल में जहां उसकी बहन निशा सभी दोस्तों की रात रंगीन करने के लिए आती है तब सभी को बारी-बारी से खुश करने के लिए हम बिस्तर होने के लिए एक कमरे में जाते हैं सभी दोस्त हमेशा को बारी-बारी से हम बिस्तर करते हैं जब राहुल का नंबर आता है तो राहुल अपनी बहन को देखकर हैरान अब परेशान हो जाता है और वह तो यह होता है कि हम बिस्तर हने को अकेले-अकेले कमरे में आना था। बहन को इस हालत में देखता है निशा बहन अपनी आपबीती बताती है की समझ में कोई भी मदद को आगे नहीं आए जब तू छोटा था और थोड़ा समझदार हो गया है तब हम तुम इस हालत में मिले हैं निशा को गले से लगा लेता है और उसे होटल से अपनी बहन को लेकर अंधेरी रात में गुम हो जाता है और उसे शहर को राधे-रात दोनों बहन भाई छोड़कर एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए गुनाहों का दलदल छोड़ देते हैं। यह कहानी सच्ची घटना और कल्पना पर आधारित है इससे किसी के जीवन के अंश को मिलना है इत्तेफाक है यह स्वरचित कहानी स्वयं नीरज अग्रवाल की रचना है। सभी पाठ कौशल निवेदन एक कहानी को एक मनोरंजन के रूप में पढ़ना चाहिए और हकीकत और जिसका कोई लेना देना नहीं है परंतु कहीं भी किसी की जीवन में इत्तेफाक हो सकता है। और गुनाहों का दलदल यह प्रेरणा देता है कि हम सभी को समय के साथ-साथ सोच के साथ जीवन के निर्णय चाहिए जैसे राहुल ने अपनी बहन की सिंपैथी में निर्णय लिया और सही जीवन जीने के लिए और अगर सर हो गए सच और हकीकत के साथ गुनाहों का दलदल पढ़ के आप सभी की प्रतिक्रियाएं मुझे और लेखन के लिए उत्साहित करेंगे धन्यवाद

नीरज अग्रवाल चंदौसी उप्र

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5 Comments

Sushi saxena

14-Feb-2024 06:27 PM

Very nice

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Gunjan Kamal

11-Feb-2024 12:11 AM

👌👏

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Varsha_Upadhyay

09-Feb-2024 12:58 AM

बहुत खूब

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